प्रश्न 1. मार्किंग आउट से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर किसी जॉब को बनाने से पूर्व ड्राइंग के अनुसार जॉब पर जो मार्किंग करने की क्रिया कारीगर द्वारा की जाती है, उसे मार्किंग आउट कहते हैं।
प्रश्न 2. मार्किंग कितने प्रकार से की जाती है ?
उत्तर- मार्किंग दो प्रकार से की जाती है
1. डाटम लाइन विधि,
2. सेन्टर लाइन विधि
डाटम लाइन विधि - जिस जॉब की सरफेस प्लेट पर मार्किंग की जा सके उसे डाटम लाईन विधि कहते हैं।
सेन्टर लाइन विधि - जो जॉब टेड़े-मेढ़े हों तथा जिन्हें, सरफेस प्लेट पर न रखा जा सके उन्हें केन्द्र को आधार मानकर मार्किंग की जाये तो उसे सेन्टर लाइन विधि कहा जाता है
उद्देश्य हैं ?
प्रश्न 3. मार्किंग के क्या उत्तर मार्किंग के उद्देश्य निम्नलिखित हैं
1. मार्किंग के द्वारा कारीगर जॉब सही प्रकार से बना लेता है।
2. मार्किंग करने से कारीगर को मालूम हो जाता है कि जॉब को बनाने से पहले कितना मेटल औजार के द्वारा काटा जाना है।
प्रश्न 4. मार्किंग मीडिया किसे कहते हैं ?
उत्तर – किसी जॉब को बनाने से पूर्व ड्राइंग के अनुसार उस पर मार्किंग की जाती है जिससे जॉब सही प्रकार से बन सके। इसके लिए मार्किंग करने से पूर्व जॉब की सतह के किसी उपयुक्त रंग या उसके समान कोई पदार्थ लगाया जाता है, जिसे मार्किंग मीडिया कहते हैं।
प्रश्न 5. मार्किंग मीडिया कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर मार्किंग मीडिया चार प्रकार के होते हैं-
1. साधारण ब्लैकबोर्ड चाक (Ordinary Black Board Chalk)
2. तूतिया (कापर सल्फेट) ( Blue Vitriol)
3. लेआउट डाई (Layout die)
4. वाईट कोटिंग (White Coating)
प्रश्न 6. कौन-सा मार्किंग मीडिया सबसे अच्छा होता है और क्यों ? उत्तर मार्किंग मीडिया में कापर सल्फेट या तूतिया सबसे अच्छा है। क्योंकि इसकी तह सबसे पतली और रासायनिक क्रिया से बनती है। इसके मिटने का भी भय नहीं रहता तथा रेखाएं बारीक एवं स्पष्ट खिंचती हैं।
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स्क्राइबर्स (Scribers)
प्रश्न 7. स्क्राइबर (Scriber) किसे कहते हैं ?
उत्तर- यह एक तेज धार वाला औजार है, जो जॉब पर मार्किंग करते समय लाइन खींचने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
प्रश्न 8. स्क्राइबर (Scriber) किस धातु का बना होता है ?
उत्तर स्क्राइबर प्रायः हाईकार्बन स्टील का बनाया जाता है और इसके प्वाइन्ट हार्ड व टैम्पर किए जाते हैं। तथा इसके आगे के प्वाइन्ट को 12° से 15° के कोणों में ग्राइंडिंग किया होता है। इसकी लम्बाई 125 से. 200 मि. मी. तक होती है।
प्रश्न 9. स्क्राइबर (Scriber) कितने प्रकार के होते हैं।
उत्तर- स्क्राइबर चार प्रकार के होते हैं
1. स्ट्रेट स्क्राइबर (Straight Scriber)
2. बैंड स्क्राइबर (Bend Scriber)
3. एडजस्टेबल स्लीव स्क्राइबर (Adjustable Sleave Scriber)
4. आफसेट स्क्राइबर (Offset Scriber)
प्रश्न 10. स्ट्रेट स्क्राइबर (Straight Scriber) किसे कहते हैं ?
उत्तर- इसका प्रयोग साधारण मार्किंग करते समय लाइन खींचने के लिए किया जाता है। यह 1/8" मोटे टूल स्टील तार का बना होता है। इसकी बाडी प्लेन या नरलिंग की होती है। इसकी नोक घिस जाती है तो इसे ग्राइंडर द्वारा दुबारा बनाई जा सकती है।
प्रश्न 11. बैन्ड स्क्राइबर (Bend Scriber) किसे कहते हैं ?
उत्तर- इस प्रकार के स्क्राइबर का एक सिरा सीधा व नुकीला होता है। दूसरा सिरा 90° के कोण पर नुकीला जुड़ा होता है। यह स्क्राइबर लेथ और गोल जॉब के अन्दर की तह पर लाइन खींचने के लिए अधिक प्रयोग किया जाता है।
प्रश्न 12. एडजस्टेबल स्लीव स्क्राइबर (Adjustable Sleave Scriber) किसे कहते हैं ?
उत्तर- यह प्रायः 8" से 12" लम्बाई में प्रयोग किया जाता है। इस प्रकार के स्क्राइबर में एक म्लीव होती है जिसकी बाडी नरलिंग की हुई होती है। इसकी पूरी लम्बाई में सेंटर में गोल मृगख बना होता है जिसे साधारण स्क्राइबर में लगाया जा सकता है और इसे एडजस्टेबल करक क्लैम्प किया जा सकता है।
प्रश्न 13. आफसेट स्क्राइबर किसे कहते हैं ?
उत्तर - आफसेट स्काइबर द्वारा वर्नियर हाइटगेज के साथ शुद्ध मार्किंग की जा सकती है।
प्रश्न 14. स्क्राइबर का प्रयोग करते समय क्या सावधानियां बरतनी चाहिए ?
उत्तर 1. स्क्राइबर तेज नोकदार होना चाहिए जिससे मार्किंग सही हो सके ।
2. स्काबर की नोक को हार्डसरफेस पर ठोकर नहीं मारनी चाहिए। 3. इसका प्रयोग हार्ड सरफेस पर नहीं करना चाहिए।
4. इसको अगर प्रयोग न कर रहे हों तो इसके ज्वाइंट को कार्क में लगाकर रखना चाहिए।
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डिवाइडर (Divider)
प्रश्न 15. डिवाइडर किसे कहते हैं ?
उत्तर- यह एक मार्किंग टूल है। इसकी दो टांगें (Legs) होती हैं जो नुकीली एवं तेज धार वाली होती हैं।
प्रश्न 16. डिवाइडर किस धातु के बने होते हैं ?
उत्तर - यह प्रायः हाईकार्बन स्टील के बनाये जाते हैं। इसके प्वाइन्टों को हार्ड और टैम्पर किया जाता है। इसे माइल्ड स्टील का भी बनाया जा सकता है। इसके प्वाइण्ट को हार्ड किया जाता है। यह प्रायः 100, 150, 200 मि. मी. के मिलते हैं।
प्रश्न 17. डिवाइडर कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर- यह दो प्रकार के होते हैं
1. स्प्रिंग ज्वाइण्ट डिवाइडर (Spring Joint Divider)
2. फर्म ज्वाइण्ट डिवाइडर (Firm Joint Divider)
प्रश्न 18. स्प्रिंग ज्वाइण्ट डिवाइडर किसे कहते हैं ?
उत्तर – इस प्रकार के डिवाइडर में इसकी दोनों टांगों को चपटे व स्प्रिंग नट व स्क्रू से समायोजित (Adjust) किया जाता है। इसलिए इसे स्प्रिंग टाइप डिवाइडर कहते हैं। इससे वृत्त या चाप खींचे जा सकते हैं।
प्रश्न 19. फर्म ज्वाइण्ट डिवाइडर (Firm Joint Divider) किसे कहते हैं ?
उत्तर- इस डिवाइडर में दोनों टांगे रिवट और वाशर से कसी होती हैं। रिवट इस प्रकार की जाती है कि हल्के से दबाव से टांगे आवश्यकता के अनुसार सैट की जा सकें।
प्रश्न 20. डिवाइडर का प्रयोग कहां किया जाता है ?
उत्तर - डिवाइडर का प्रयोग निम्नलिखित कार्य में किया जाता है
1. वृत्त व चाप को जॉब की सरफेस पर खींचने के लिए।
2. स्टील रूल से जॉब पर समानान्तर रेखा खींचने के लिए।
3. सरफेस पर खींची गई लाईन को बराबर बांटने के लिए। देना
प्रश्न 21. डिवाइडर का प्रयोग करते समय क्या सावधानियां बरतनी चाहिएं ?
उत्तर -डिवाइडर का प्रयोग करते समय निम्नलिखित बातों पर विशेष ध्यान चाहिए
1. डिवाइडर की रिवट न अधिक कसी हो और न अधिक ढीली होनी चाहिए।
2. इसे प्रयोग न करना हो तो तेल या ग्रीस लगा देना चाहिए।
3. डिवाइडर के दोनों प्वाइन्ट तेज धार के होने चाहिएं।
4. स्प्रिंग डिवाइडर को उसके नर्ल्ड स्टैण्ड से पकड़कर ही घुमाना चाहिए।
5. इसे किसी और कार्य के लिए प्रयोग नहीं करना चाहिए।
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ट्रेमल (Trammal)
प्रश्न 22. ट्रेमल (Trammal) किसे कहते हैं ?
उत्तर -इसका प्रयोग बड़े साइज के वृत्त व चाप की मार्किंग करने के लिए किया जाता है। यह प्रायः 15 से 50 से. मी. तक मिलते हैं। इनकी बनावट में एक स्क्रू होती है जिसे बीम कहते हैं। बीम के ऊपर दो स्लाईडिंग हैड होते हैं जिनको इधर-उधर खिसकाया जाता है। इन स्लाइडिंग हैड को कसने के लिए क्लैम्पिंग नट लगे होते हैं। स्लाइडिंग हैडों के साथ स्क्राइबर फिट किये जाते हैं
प्रश्न पंच (Punch) किसे कहते हैं ?
उत्तर - कोई जॉब बनाने से पहले उस पर ड्राइंग के अनुसार मार्किंग की जाती है। इस जॉब को स्थाधी बनाने के लिए एक टूल का उपयोग किया जाता है। उसे पंच कहते हैं। पंच द्वारा की गई मार्किंग जॉब बनाने के अन्त तक दिखाई दे सकती है ।
प्रश्न 24. पंच के कितने भाग हैं।
उत्तर- पंच प्रायः अष्टभुज या बेलनाकार बना कर नरलिंग कर दिया जाता है। इसके तीन भाग हैं
1. हैड,
2. बाडी
3. प्वांइट
प्रश्न 25. पंच किस मैटीरियल का बना होता है ?
उत्तर- पंच का साइज उसकी पूरी लम्बाई और व्यास से लिया जाता है। पंच 150 x 125 मि. मी. का होता है। यह प्रायः हाईकार्बन स्टील के बने होते हैं। इसके प्वाइंट हार्ड व टेम्पर किये होते हैं।
प्रश्न 26. पंच (Punch) कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर- पंच सात प्रकार के होते हैं
1. सेंटर पंच (Centre Punch)
2. डाट पंच (Dott Punch)
3. प्रिक पंच (Prick Punch)
4. होलो पंच (Hollow Punch)
5. पिन पंच (Pin Punch)
6. बैल पंच (Bell Punch)
7. आटोमैटिक पंच (Automatic Pumch)
प्रश्न 27. सेंटर पंच किसे कहते हैं ?
उत्तर- यह पंच प्रायः ड्रिल सेंटर लगाने के लिए प्रयोग किया जाता है। यह पंच 4 से 12 मि. मी. मोटा और 35 मि. मी. से 125 मि. मी. तक लम्बा होता है तथा प्वाइण्ट 90 डिग्री का होता है।
प्रश्न 28. डाट पंच (Dott Punch) किसे कहते हैं ?
उत्तर- यह पंच स्क्राइबर द्वारा लगाई गई लाइन को पक्का करने के लिए प्रयोग किया जाता है और इसके प्वाइन्ट का कोण 60 डिग्री का होता है।
प्रश्न 29. प्रिक पंच किसे कहते हैं ?
उत्तर - यह पंच नरम धातु और फाइन कार्य की मार्किंग के लिए प्रयोग किया जाता है। इसके प्वांइट का कोण 30 डिग्री का होता है।
प्रश्न 30. होलो पंच किसे कहते हैं ?
उत्तर- यह पंच नर्म शीट जैसे गत्ता, चमड़ा, रबड़ गैटकट, नर्म अलौह धातु और पतली शीटों में सूराख के लिए प्रयोग किया जाता है। यह अंदर से खोखला तथा कई साइजों में मिलता है।
प्रश्न 31. पिन पंच से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर- यह पिन आदि निकालने के लिए प्रयोग किया जाता है। यह कई साइजों में मिलता है। यह आगे से समानान्तर और अन्य पंचों से लम्बा होता है।
प्रश्न 32. बैल पंच (Bell Punch) किसे कहते हैं ?
उत्तर - यह पंच गोल राड का सेंटर निकालने और मार्किंग के लिए प्रयोग किया जाता है। . इसके बीचोंबीच एक पंच लगा होता है जिसे एक स्प्रिंग पीछे धकेल कर रखता है।
प्रश्न 33. आटोमैटिक सेन्टर पंच किसे कहते हैं ?
उत्तर - इसके आगे का प्वाइण्ट 60 से 90 डिग्री का होता है। यह पंच फाईन तथा सही मार्किंग के लिए प्रयोग में लाया जाता है। इसके अंदर एक स्प्रिंग और स्टील का एक ब्लाक इस प्रकार सैट किया होता है कि जैसे ही हम पंच को दबाते हैं, बिना हथौड़े से यह मार्किंग हो जाती है।
प्रश्न 34. सेंटर पंच और डाट पंच में अन्तर लिखो।
उत्तर
सेंटर पंच
1. इसका प्वाइण्ट आगे से 90 डिग्री का होता है।
2. यह टूल स्टील का बना होता है।
3. यह पंच ड्रिल करने वाले स्थान पर पंच करने के लिए प्रयोग किया जाता है जिससे ड्रिल सही हो ।
4. इस पंच को पकड़ने के लिए नरलिंग किया जाता है।
5. यह दो प्रकार का होता है।
डाट पंच
1. इसका प्वाइण्ट आगे से 60 डिग्री का होता है।
2. यह भी टूल स्टील का बना होता है।
3. यह मार्किंग लाइन को गहरा करने के लिए प्रयोग किया जाता है।
4. यह भी सेंटर में नरलिंग किया होता है।
5. यह एक प्रकार का होता है।
प्रश्न 35. पंच को प्रयोग करते समय क्या सावधानियां बरतनी चाहिएं। उत्तर पंच को प्रयोग करते समय निम्न सावधानियां ध्यान में रखनी चाहिएं।
1. पंच आगे से नोकदार होना चाहिए।
2. कार्य के अनुसार पंच का चुनाव करना चाहिए।
3. हार्ड मैटल पर पंच को प्रयोग नहीं करना चाहिए।
4. होलो पंच को मोटी शीट पर प्रयोग नहीं करना चाहिए।
5. अगर पंच का प्वाइण्ट खराब हो जाये तो उसे प्रयोग नहीं करना चाहिए।
प्रश्न 36. सरफेस गेज किसे कहते हैं ?
उत्तर सरफेस गेज एक प्रकार का मार्किंग टूल है। इसे स्काइबिंग ब्लाक या मार्किंग ब्लाक के नाम से भी पुकारा जाता है। इससे एक निश्चित दूरी तक सीधी रेखायें और समानान्तर रेखायें आसानी से एवं जल्दी खीची जाती हैं।
प्रश्न 37. सरफेस गेज कितने प्रकार की होती है ?
उत्तर यह दो प्रकार की होती है
1. फिक्स्ड सरफेस गेज (Fixed Surface Gauge)
2. यूनिवर्सल सरफेस गेज (Universal Surface Gauge
प्रश्न 38. फिक्स्ड सरफेस गेज किसे कहते हैं ?
उत्तर इस सरफेस गेज में एक गोलाकार या चौरस आकार का बेस होता है। इसके साथ एक पिलर स्थाई रूप से या चूड़ी की सहायता से जोड़ा जाता है। इसका साइज खोलने के लिए स्लाइडिंग स्नग (Sliding Snug) की सहायता से स्क्राइबर को अंदाज से ऊपर-नीचे किया जाता है। इसके द्वारा शीघ्रता से माप खोलने में कठिनाई होती है । इसलिए इसका उपयोग वर्कशाप में कम किया जाता है।
प्रश्न 39. यूनिवर्सल सरफेस गेज किसे कहते हैं ?
उत्तर - यह सरफेस गेज फिक्सड सरफेस गेज से मिलती-जुलती है। अन्तर केवल इतना है कि इसके ऊपर जो पिलर पर स्पिण्डल होता है, उसे एडजस्ट किया जा सकता है। जो बेस पर राकेट लगा हुआ है उसकी सहायता से स्क्राइबर को ऊपर-नीचे किया जा सकता है। राकेट में एक तरफ स्प्रिंग और दूसरी तरफ फाइन एडजस्टिंग स्क्रू लगा होता है। फाइन स्क्रू के कारण इसमें 1 या 1/2 मि. मी. तक की छोटी माप को सैट किया जा सकता है। .
प्रश्न 40. यूनिवर्सल सरफेस गेज के कितने भाग होते हैं ?
उत्तर -यूनिवर्सल सरफेस गेज के सात भाग होते हैं
1. बेस या आधार (Base)
2. स्तम्भ या स्पिण्डल (Pillar or Spindle)
3. स्नग (Snug)
4. स्क्राइबर नट (Scriber Nut)
5. स्काइबर (Scriber)
6. फाईन एडजस्टिंग स्क्रू (Fine Adjusting Screw)
7. पिलर लाक नट (Pillar Lock Nut)
8. गाइड पिनें (Guide Pins)
प्रश्न 41. सरफेस गेज का प्रयोग कहां होता है ?
उत्तर- सरफेस गेज का निम्नलिखित प्रयोग होता है
1. समानान्तर व सीधी रेखायें खींचने के लिए।
2. समानान्तर साइड की चैकिंग के लिए।
3. लेथ मशीन पर चक में जॉब को बांधने के बाद सेन्टर चैक करने के लिए।
प्रश्न 42. सरफेस गेज को प्रयोग करते समय कौन-कौन सी सावधानियां रखनी चाहिएं।
उत्तर- निम्नलिखित सावधानियां रखनी चाहिएं - -
1. सरफेस गेज पर जो स्क्राइबर लगा हो उसका प्वाईन्ट तेज धार का होना चाहिए।
2. स्क्राइबर का मुड़ा भाग नीचे होना चाहिए।
3. मार्किंग करते समय पिलर को हमेशा सीधा रखना चाहिए।
4. माप लेने के पश्चात स्क्राइबर को स्क्राइबर स्नग के साथ अच्छी तरह कस देना चाहिए।
5. स्क्राइबर से अगर एक लाईन खींची है तो दूसरी लाईन नहीं खींचनी चाहिए।
6. अगर इसे प्रयोग में न लिया जा रहा हो तो स्क्राइबर को पिलर के समानान्तर रखना चाहिए और उसे तेल या ग्रीस लगाकर रखना चाहिए।
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वी ब्लाक (V Block)
प्रश्न 43. वी ब्लाक (V- Block) किसे कहते हैं ?
उत्तर बेलनाकार जॉब सरफेस प्लेट पर स्थिर नहीं होती । अतः उस पर मार्किंग करना एवं आम आप्रेशन ड्रिलिंग, मिलिंग तथा ग्राइडिंग करना कठिन होता है। मार्किंग एवं आप्रेशनों को सही करने के लिए वी-ब्लाक का प्रयोग किया जाय जिसे क्लैम्प द्वारा कसा जाता है। -
प्रश्न 44. वी ब्लाक किस धातु एवं साइज के मिलते हैं
उत्तर यह प्रायः कास्ट आयरन या हाई कार्बन स्टील के बने होते हैं और प्रायः 75 से 200 मि. मी. चौड़े और 50 से 100 मी. ऊंचाई में 50 से 100 मि. मी. में प्रायः जोड़े में मिलते हैं।
प्रश्न 45. वी ब्लाक (V Block) कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर वी ब्लाक तीन प्रकार के होते हैं
1. प्लेन वी ब्लाक (Plain V Block)
2. कलैम्प वी ब्लाक (V. Block with Clamp;
3. चुम्बकीय वी ब्लाक (Magnetic V Block)
प्रश्न 46. (a) प्लेन वी. ब्लाक (Plain V Block) ब्लाक किसे कहते हैं ?
उत्तर इसकी एक साइड में V ग्रव कटी होती है और इसमें जॉब पर क्लैम्प नहीं किया जा सकता अतः यह भारी गोला तथा वर्गाकार जॉबों की मार्किंग के लिए प्रयोग किया जाता है
(b) क्लैम्प वी ब्लाक (V Block with Clamp) किसे कहते हैं ?
उत्तर इसकी दोनों साइडों में एक ही साईज की ग्रव कटी होती है जिसमें जॉब को रखा जा सकता है। दूसरी दोनों भुजाओं पर एक आयताकार झिरी कटी होती है। इन झिरियों द्वारा कलैम्प की सहायता से जॉब को मजबूती से पकड़कर मार्किंग, ड्रिलिंग तथा ग्राइंडिंग किया जा सकता है।
प्रश्न 47. चुम्बकीय वी ब्लाक (Magnetic V Block) किसे कहते हैं ?
उत्तर - यह एक अस्थाई चुम्बकीय ब्लाक होता है। इस पर लगे लीवर को on कर देने पर यहां जॉब को पकड़ लेता है और लीवर को OFF की दिशा देने पर जॉब को छोड़ देता है। इस चुम्बकीय V ब्लाक से मशीन पर ड्रिलिंग, मार्किंग आदि क्रिया करने में आसानी होती है।
प्रश्न 48. वी ब्लाक का प्रयोग कहां किया जाता है ?
उत्तर - 1. गोल जॉब को बी ब्लाक पर रखकर मार्किंग करने में आसानी होती है।
2. किसी गोल जॉब को ड्रिलिंग, मशीनिंग इत्यादि आपरेशन करने के लिए सहारा देने और पकड़ने के लिए वी ब्लाक का प्रयोग किया जाता है।
प्रश्न 49. वी ब्लाक को प्रयोग करते समय क्या सावधानियां बरतनी चाहिएं ?
उत्तर - 1. काम करने के पहले और बाद में वी ब्लाक को साफ कर लेना चाहिए।
2. इसकी सरफेस को खराब होने से बचाना चाहिए।
3. अगर वी ब्लाक का प्रयोग न किया जा रहा हो तो तेल इत्यादि लगा देना चाहिए।
4. अगर लम्बे जॉबों के लिए वी ब्लाक का प्रयोग करना पड़े तो एक ही साइज एवं एक ही नम्बर के दो वी ब्लाक प्रयोग करने चाहिएं।
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ऐंगिल प्लेट (Angle Plate)
प्रश्न 50. ऐंगिल प्लेट (Angle Plate) किसे कहते हैं ?
उत्तर – यह प्रायः कास्ट आयरन या कास्ट स्टील की बनी होती है। इसकी प्रत्येक बाहरी साइडों को मशीन द्वारा समकोण कर दिया जाता है। इसका अधिकतर प्रयोग मार्किंग करते समय जॉब को सहारा देने के लिए किया जाता है तथा जॉब को क्लैम्प कर दिया जाता है।
प्रश्न 51. ऐंगिल प्लेट का क्या साइज होता है ?
उत्तर- इसका साइज इसकी लम्बाई, चौड़ाई और मोटाई से लिया जाता है 150 x 150 x 1000 x 25 मि. मी.
प्रश्न 52. ऐंगिल प्लेट (Angle Plate) कितने प्रकार की होती है ?
उत्तर- यह दो प्रकार की होती हैं
1. फिक्स्ड ऐंगिल प्लेट (Fixed Angle Plate)
2. एडजस्टेबल ऐंगिल प्लेट (Adjustable Angle Plate)
प्रश्न 53. फिक्स्ड ऐंगिल प्लेट (Fixed Angle Plate) किसे कहते हैं ?
उत्तर- इस प्रकार की एंगिल प्लेट 90 डिग्री के कोण में बनी होती है। इसका प्रयोग मार्किंग करते समय जॉब को समकोण का सहारा के लिए किया जाता है। उसमें आयताकार आकार की नलियां (groves) भी बने होते हैं, जिससे मार्किंग करते समय टेढ़े-मेढ़े जॉब को बोल्ट की सहायता से क्लैम्प किया जा सकता है।
प्रश्न 54. एडजस्टेबल ऐंगिल प्लेट (Adjustable Angle Plate) किसे कहते हैं ?
उत्तर- इस प्रकार की ऐंगिल प्लेट कार्य को किसी भी कोण में सहारा देने के लिए प्रयोग में लाई जाती है । इसमें दो अलग-अलग प्लेट होती हैं जिनको नट, बोल्ट की सहायता से जोड़ा जाता है।
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मार्किंग आफ टेबल (Marking of Table)
प्रश्न 55. मार्किंग टेबल किसे कहते हैं ?
उत्तर यह एक साधारण टेबिल होती है जिसकी ऊपरी सतह ढलवां लोहे और फ्रेम ऐंगल आयरन अथवा लकड़ी का बना होता है। इस पर जॉब को रखकर औजारों से मार्किंग की जाती है। यह 8 से 10 फुट लम्बी और 4 से 5 फुट चौड़ी होती है जो साधारण कार्य के लिए प्रयोग की जाती है । अधिक शुद्ध कार्य के लिए सरफेस प्लेट प्रयोग की जाती है।
सरफेस प्लेट (Surface Plate)
प्रश्न 56. सरफेस प्लेट (Surface Plate) किसे कहते हैं ?
उत्तर सरफेस प्लेट प्रायः वर्गाकार या आयताकार कास्ट आयरन की बनी होती है। इसकी सतह बहुत शुद्ध बनी होती है। इस पर जॉबों को रखकर सूक्ष्ममापी यन्त्रों से मार्किंग की जाती है। सैटिंग तथा मेजरिंग का कार्य भी किया जाता है। यह नीचे से खोखला होती है। इसे पकड़ने के लिए इसमें माइल्ड स्टील के दो या चार हैण्डिल लगे होते हैं।
प्रश्न 57. सरफेस प्लेट (Surface Plate) का मुख्य कार्य क्या है ? उत्तर इसका मुख्य कार्य जॉब की समतलता जांचना है।
प्रश्न 58. मैटीरियल के विचार से सरफेस प्लेट (Surface Plate) कितने प्रकार की होती हैं ?
उत्तर यह तीन प्रकार की होती हैं
1. कास्ट आयरन सरफेस प्लेट (Cast Iron Surface Plate)
2. ग्रेनाइट सरफेस प्लेट (Granite Surface Plate)
3. ग्लास सरफेस प्लेट (Glass Surface )
प्रश्न 59. कास्ट आयरन सरफेस प्लेट किसे कहते हैं ?
उत्तर यह क्लोज्ड ग्रेन कास्ट आयरन (Closed Grain Cast Iron) से बनाई जाती है। इसकी दोनों साइडों पर दो हैंडिल विपरीत दिशा में लगे होते हैं। बड़ी प्लेटों को स्टैण्ड पर फिट किया जाता है।
प्रश्न 60. ग्रेनाइट सरफेस प्लेट किसे कहते हैं ?
उत्तर यह सरफेस प्लेट एक प्रकार के पत्थर की बनाई जाती है जिसे ग्रेनाइट कहते हैं । इस सरफेस प्लेट पर जंग नहीं लगता और इस पर गर्मी एवं ताप का भी प्रभाव नहीं पड़ता तथा कार्य करने पर इस पर अगर सक्रेच पड़ भी जाये तो इसकी शुद्धता में कोई अन्तर नहीं आता। यह कार्य के अनुसार कई साइजों में मिलती है।
प्रश्न 61. ग्लास सरफेस प्लेट (Glass Surface Plate) किसे कहते हैं ? उत्तर यह सरफेस शीशे की बनी होती है और छोटे कार्यों के लिए प्रयोग की जाती है। साथ ही इस पर जंग भी नहीं लगता । कार्य के अनुसार यह कई साइजों में मिलती है।
प्रश्न 62. सरफेस प्लेट के प्रयोग के बारे में लिखें।
उत्तर सरफेस प्लेट के प्रयोग
1. मार्किंग के लिए प्रयोग किया जाता है।
2. सीधापन जांचने के लिए प्रयोग किया जाता है।
3. साइन बार द्वारा कोण बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है
4. अधिक उत्पादन में जॉब को असानी से जांचने के लिए प्रयोग किया जाता है।
प्रश्न 63. कार्य के अनुसार सरफेस प्लेट कितने प्रकार की होती है ? उत्तर यह चार प्रकार की होती है
1. वर्कशाप सरफेस प्लेट (Workshop Surface Plate)
2. इन्स्पैक्शन सरफेस प्लेट (Inspection Surface plate)
3. मास्टर सरफेस प्लेट (Master Surface Plate)
4. सरफेस प्लेट की शुद्धता (Accuracy of Surface Plate)
प्रश्न 64. वर्कशाप सरफेस प्लेट (Workshop Surface Plate) किसे कहते हैं ?
उत्तर - इस सरफेस प्लेट की शुद्धता .001 इंच या 0.25 मि. मी. होती है। यह वर्कशाप में प्रायः साधारण कार्य के लिए प्रयोग की जाती है।
प्रश्न 65. इन्स्पेक्शन सरफेस प्लेट (Inspection Surface Plate) किसे कहते हैं ?
उत्तर इसकी शुद्धता वर्कशाप सरफेस प्लेट से अधिक होती है। जो .0001 इंच या 0.0025 मि. मी. होती है। इसका प्रयोग वर्कशाप सरफेस प्लेट को चैक करने के लिए किया जाता है।
प्रश्न 66. मास्टर सरफेस प्लेट से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर इसकी शुद्धता इंस्पेक्शन सरफेस प्लेट की अपेक्षा बहुत अधिक है। इसकी शुद्धता 00001" या 0.00025 मि. मी. होती है।
प्रश्न 67. सरफेस प्लेटों की शुद्धता के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर - सरफेस प्लेट प्रायः दो ग्रेडों में पाई जाती हैं A और B A ग्रेड वाली सरफेस प्लेट की शुद्धता 005 मि. मी. होती है। और B ग्रेड वाली सरफेस प्लेट की शुद्धता .02 मी. मी. होती है। सरफेस प्लेट की शुद्धता डायल हैण्डीकेटर के द्वारा चैक की जाती है।
प्रश्न 68. सरफेस प्लेट पर जॉब की सरफेस को कैसे चैक करेंगे।
उत्तर जॉब की सरफेस को रेती के द्वारा फिनिश करने के बाद सरफेस प्लेट के द्वारा चैक किया जाता है। उसके लिए सरफेस प्लेट पर पर्शियन ब्लू की पतली परत लगा दी जाती है और जॉब की सरफेस को प्लेट पर रगड़ना चाहिए। इससे जॉब की सरफेस जहां-जहां ऊंची होगी वहां पर पर्शियन ब्लू के निशान लग जायेंगे। इन निशानों को फाइल या स्केपर द्वारा सुखाकर साफ कर देना चाहिए। यह क्रिया तब तक करते रहना चाहिए जब तक सरफेस पर से जॉब पर पर्शियन ब्लू के निशान न आ जायें । -
प्रश्न 69. सरफेस प्लेट का प्रयोग करते समय कौन-कौन सी सावधानियां बरतनी चाहिएं।
उत्तर -सरफेस प्लेट का प्रयोग करते समय निम्नलिखित सावधानियां बरतनी चाहिएं।
1. सरफेस प्लेट पर किसी प्रकार का कोई काटिंग टूल नहीं रखना चाहिए।
2. कार्य करने से पहले उसे अच्छी प्रकार साफ कर लेना चाहिए।
3. इसको कभी मार्किंग टेबल की तरह प्रयोग नहीं करना चाहिए।
4. सरफेस प्लेट के ऊपर पंचिंग नहीं करना चाहिए।
5. अगर सरफेस प्लेट प्रयोग नहीं करनी हो तो उस पर तेल लगाने के पश्चात उसे लकड़ी के कवर से ढक देना चाहिए।
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